धनतेरस: महत्व एवं पूजन समय

भगवान कुबेर को समर्पित यह पर्व धन और ऐश्वर्या का प्रतीक है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यपिनी त्रयोदशी को प्रदोष व्रत एवं धनतेरस की पर्व के रूप में मनाया जाता है।
इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी (१३) दो दिन प्रदोष व्यापिनी है; इसके कारण सामान्य जनमानस में भ्रम की स्थिति बनी हुई है, कि ये पर्व किस दिन मनाया जाए। इसके सम्बन्ध में हिंदू संस्कृति में कुछ इस तरह शास्त्रीय व्यवस्था की गई है, कि यदि त्रयोदशी एवं प्रदोष व्यापिनी २ दिन हो तो प्रदोष व्रत द्वितीय दिन ही करना चाहिए एवं शास्त्रीय आधार पर धनतेरस का पर्व भी दूसरे दिन अर्थात् कार्तिक कृष्ण पक्ष (१३) दिन रविवार एवं दिनांक २३-१०-२०२२ को ही मनाया जाएगा।
धनतेरस के साथ धन्वंतरि जयंती(आयुर्वेदीय औषधि पूजन) और यम दीपदान भी इसी दिन होंगे।
धनतेरस को वाहन आभूषण, रजत पत्र, पीले वस्त्र, अरहर, हल्दी, सरसों, मैंथी दाना और श्री यंत्र का ख़रीदना अत्यंत शुभ रहेगा।
शुभ समय:
प्रातः - ७:४५ बजे से ११:३० बजे तक
दोपहर - १:५५ बजे से ३:१५ बजे तक
सांय - ६ बजे से १०:१५ बजे तक का समय अत्यंत शुभ है।
टिप्पणी: संध्याकालीन वेला में बैंक आदि में कुबेर पूजन व घर में गल्ले की सफ़ाई व केसर - चंदन से पूजन श्रेयस्कर होगा।